विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत में बने तीन कफ सिरपों — Coldrif, Respifresh TR और ReLife — को लेकर गंभीर स्वास्थ्य चेतावनी जारी की है।
इन सिरपों में पाया गया डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG), एक जहरीला औद्योगिक रसायन है, जिसकी स्वीकार्य सीमा 0.1% है, जबकि परीक्षणों में यह 48% से अधिक पाया गया।
भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने WHO को सूचित किया कि इन सिरपों के सेवन से मध्य प्रदेश और राजस्थान में 5 वर्ष से कम उम्र के 17 बच्चों की मौत हुई है।
हालांकि सरकार का दावा है कि इनमें से कोई भी दूषित दवा निर्यात नहीं की गई, लेकिन WHO ने स्पष्ट कहा कि यह मामला भारत की आंतरिक दवा सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी विफलता को दर्शाता है।
इन जहरीले सिरपों का निर्माण क्रमशः Sresan Pharmaceuticals (Coldrif), Rednex Pharmaceuticals (Respifresh TR) और Shep Pharma (ReLife) द्वारा किया गया था।
मध्य प्रदेश के औषधि नियंत्रक डी.के. मौर्य के अनुसार, DEG की मात्रा घातक स्तर तक पाई गई, जो सीधे तौर पर बच्चों की मौतों का कारण बनी।
सरकार ने अब Coldrif बनाने वाली तमिलनाडु स्थित Sresan Pharmaceuticals का मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस रद्द कर कंपनी को बंद करने का आदेश दे दिया है।
कंपनी के मालिक जी. रंगनाथन को मध्य प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने गिरफ्तार किया है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कंपनी के परिसरों पर छापे मारे हैं।
WHO ने सभी देशों और स्वास्थ्य एजेंसियों से अपील की है कि यदि इन तीनों में से किसी सिरप का नमूना मिले तो तुरंत संगठन को सूचित किया जाए।
अब सवाल यह है कि —
जब दवा में जहर था, तो वह बाजार तक पहुंची कैसे?
कौन-सा नियामक तंत्र सोया रहा जब ये सिरप डॉक्टरों के माध्यम से बच्चों तक पहुंचाए जा रहे थे?
भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का प्रमुख उत्पादक है, पर यदि गुणवत्ता निगरानी में ऐसी लापरवाही जारी रही, तो यही गौरव वैश्विक अविश्वास में बदल सकता है।