जैतुपुरा: शिक्षा और सौहार्द का अनूठा उदाहरण

– रंजीत सिंह भदौरिया

छतरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर और ब्लॉक मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूरी पर जंगल के बीच बसा छोटा-सा गाँव अपनी उपलब्धियों और सामूहिक सौहार्द के कारण विशेष पहचान बना रहा है। लगभग 1000 की आबादी वाला यह गाँव शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में निरंतर तरक्की कर रहा है।

गाँव का युवा वर्ग नशामुक्त और संगठित है। यहाँ के अधिकांश लोग सरकारी सेवाओं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र, तथा निजी नौकरियों में कार्यरत हैं। वहीं नई पीढ़ी डॉक्टर, इंजीनियर और पीएच.डी. जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है।

गाँव के बीच स्थित प्राचीन धार्मिक प्रांगण सभी जाति और वर्गों को एक सूत्र में बाँधता है। यहाँ बड़े महाराज जी, हनुमान जी, माँ दुर्गा और शिव मंदिर समेत कई दिव्य स्थल हैं। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की जाती है और प्रतिदिन संध्या आरती में गाँव के स्त्री-पुरुष और बच्चे बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर श्रद्धा और एकता का संदेश देते हैं।

शिक्षा और धार्मिक आस्था का यह संगम को पूरे बुंदेलखंड में प्रेरणास्रोत बनाता है। बाहर कार्यरत लोग भी गाँव लौटकर युवाओं को मार्गदर्शन और नई ऊर्जा प्रदान करते रहते हैं।

सचमुच, आज गाँव से ज्यादा एक जीवंत प्रेरणा केंद्र बन चुका है।

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