-कृष्ण कुमार यादव
पोस्टमास्टर जनरल, उत्तर गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद
नवोदय सिर्फ एक विद्यालय नहीं, एक सपना है — उन लाखों बच्चों का सपना, जिनकी आँखों में उम्मीदें थीं, पर साधन नहीं। शिक्षा ही वह रोशनी है, जिससे एक नया, सक्षम और समृद्ध भारत गढ़ा जा सकता है। नवोदय ने ग्रामीण भारत के होनहार बच्चों को न केवल उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी, बल्कि आत्मविश्वास, संस्कार और देशसेवा की भावना भी दी। यह वह संस्था है जहाँ एक किसान का बेटा वैज्ञानिक बनता है, एक मजदूर की बेटी डॉक्टर बनती है, और जहाँ से निकलकर विद्यार्थी न केवल अपनी, बल्कि पूरे परिवार और समाज की तक़दीर बदलते हैं। नवोदय विद्यालय का विजन है, “मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों को उनके परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर ध्यान दिए बिना, गुणात्मक आधुनिक शिक्षा प्रदान करना, जिसमें सामाजिक मूल्यों, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, साहसिक कार्यकलाप और शारीरिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण घटकों का समावेश हो।”
22 फरवरी, 1988 को मैंने पहली बार नवोदय विद्यालय में प्रवेश के लिए कदम रखा। मात्र साढ़े दस साल की उम्र में माँ-बाप से दूर नवोदय विद्यालय में रहने और पढ़ने के लिए पहुँच गए। उस समय केंद्रीय विद्यालय, हीरापट्टी, आजमगढ़ के दो कमरों में संचालित नवोदय विद्यालय, पहले सगड़ी तहसील के गोड़ारी गाँव और फिर अपने मूल स्थान जीयनपुर, आजमगढ़ में शिफ्ट हुआ। नवोदय से 1994 में कक्षा 12 उत्तीर्ण होने के बाद उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय आ गया। वर्ष 2001 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारत की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में चयनित होने के उपरांत पिछले 24 सालों में देश के विभिन्न भागों में पदस्थ रहा, परन्तु इतना अवश्य कहूँगा कि यदि मैं नवोदय विद्यालय में नहीं रहता तो शायद ही यहाँ तक पहुँच पाता। मुझे गर्व है कि मैं नवोदय का हिस्सा रहा हूँ। हमारे व्यक्तित्व और कैरियर के निर्माण में नवोदय का बहुत बड़ा योगदान रहा है। नवोदय ने हमें सिखाया कि सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, उन्हें जिया भी जाता है — संघर्ष, अनुशासन और समर्पण के साथ। नवोदय विद्यालय से निकले लगभग तीन दशक से ज्यादा हो गए पर अभी भी वही लगाव और अपनत्व बरकरार है। नवोदय ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है, अब ‘पे बैक टू सोसाइटी’ की जरुरत है। भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने में नवोदयन्स की अहम भूमिका है। नवोदय परिवार आज भी बेहद संगठित है और लोग एक दूसरे से दिल से जुड़े हैं। सुख-दुःख में एक दूसरे के साथ जिस तरह से खड़े रहते हैं, वह मन में हैरत ही नहीं गर्व भी पैदा करता है।
भारत में 1985-86 में दो नवोदय विद्यालयों से आरंभ हुआ यह सफर आज 661 तक पहुँच चुका है। तमिलनाडु को छोड़कर पूरे भारत में नवोदय विद्यालय मौजूद हैं। 31 दिसंबर 2022 तक कुल 661 नवोदय चल रहे थे, जिनमें लगभग 2,87,568 छात्र नामांकित थे, जिनमें से 2,51,430 (≈87%) ग्रामीण क्षेत्रों से थे। ये सह-शिक्षा, आवासीय विद्यालय कक्षा 6 से 12 तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं, जिसका उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को सर्वश्रेष्ठ शहरी विद्यालयों के समकक्ष अवसर प्रदान करके मुख्यधारा में शामिल करना है। एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद नवोदय विद्यालय अपनी उत्कृष्ट शिक्षा व बेहतर परीक्षा परिणामों की वजह से आज शीर्ष पर है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ एवं ‘शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए’ की भावना से प्रेरित नवोदय में जाति, संप्रदाय, क्षेत्र से परे सिर्फ राष्ट्रवाद की भावना है। देश भर में नवोदय विद्यालय के 16 लाख से अधिक पुरा विद्यार्थियों का नेटवर्क समाज को नई दिशा देने के लिए तत्पर है। राजनीति, प्रशासन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सैन्य सेवाओं से लेकर विभिन्न प्रोफेशनल सेवाओं, बिजनेस और सामाजिक सेवाओं में नवोदयन्स पूरे भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया में पहचान बना रहे हैं। ‘हमीं नवोदय हों’ की भावना के साथ आज नवोदय एक ब्रांड बन चुका है।
नवोदय विद्यालय की स्थापना का श्रेय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी जी को जाता है। 1986 में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ की घोषणा की। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली बच्चों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना मुफ्त आवासीय शिक्षा, आवास और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था। इस योजना के तहत, पहले दो नवोदय विद्यालय अमरावती (महाराष्ट्र) और झज्जर (हरियाणा) में प्रायोगिक तौर पर 1985-86 में शुरू किए गए थे। राजीव गांधी जी हमेशा एक ऐसे विजनरी प्रधानमंत्री के रूप में याद किये जायेंगे, जिन्होंने इस देश को समर्पित शिक्षा का उत्कृष्ट मॉडल नवोदय विद्यालय दिया। ग्रामीण क्षेत्रों की तमाम प्रतिभाओं को इन नवोदय विद्यालय में न सिर्फ निःशुल्क शिक्षा दी गई, बल्कि हॉस्टल से लेकर रोजमर्रा तक की चीजें निःशुल्क थीं। बस एक ध्येय था कि नवोदय में पढ़े ये बच्चे एक दिन अपनी प्रतिभा से समाज और राष्ट्र को ऊँचाइयों पर ले जाएँगे और समाज ने उन पर जो खर्च किया है, उसका अवदान देंगे। आज भी नवोदय विद्यालय अपनी उसी गरिमा के साथ संचालित हैं।
भारत सरकार की नीति के अनुसार, देश के प्रत्येक जिले में एक जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित किया जाना है। प्रत्येक विद्यालय के लिए कक्षाओं, शयन कक्षों, कर्मचारी आवासों, भोजन-कक्ष तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे खेल के मैदान, कार्यशालाओं, पुस्तकालय एवं प्रयोगशालाओं इत्यादि के लिए पर्याप्त भवनों से युक्त सम्पूर्ण परिसर की व्यवस्था है। नए नवोदय विद्यालयों को खोलने का निर्णय राज्य सरकार के इस प्रस्ताव पर आधारित होता है कि वह विद्यालय के लिए लगभग 30 एकड़ भूमि (प्रत्येक मामले के आधार पर छूट सहित) निःशुल्क उपलब्ध कराने के साथ-साथ, विद्यालय को तब तक चलाने के लिए उपयुक्त अस्थायी भवन का प्रबंध करेगी जब तक कि विद्यालय के स्थायी भवन का निर्माण पूरा नहीं हो जाता।
जवाहर नवोदय विद्यालय का आदर्श वाक्य “प्रज्ञानं ब्रह्म” ऋग्वेद के ऐतरेय उपनिषद से एक महावाक्य है, जिसका अर्थ है “प्रकट ज्ञान या चेतना ही ब्रह्म है” । यह उच्च-गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए नवोदय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 13 अप्रैल को नवोदय स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो 1986 में नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) की स्थापना की वर्षगांठ का प्रतीक है। वर्तमान में जवाहर नवोदय विद्यालय 27 राज्यों और 8 संघ शासित राज्यों में संचालित है। यह सह-शिक्षा आवासीय विद्यालय है, जिन्हे एक स्वायत्त संगठन ‘नवोदय विद्यालय समिति’ के ज़रिए भारत सरकार द्वारा संचालित सम्पूर्ण वित्तीय सहायता प्राप्त है। नवोदय विद्यालय में प्रवेश, ‘जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा के माध्यम से कक्षा 6 में की जाती हैं। प्रत्येक जिले से 80 छात्रों का चयन किया जाता है। जवाहर नवोदय विद्यालयों में प्रवेश मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए है, जिसमें ग्रामीण बच्चों के लिए कम से कम 75% सीटें उपलब्ध हैं। यद्यपि नवोदय विद्यालय की स्थापना के बाद से एक लंबे समय तक यहाँ सब कुछ नि:शुल्क था, जो छात्रों को मुफ्त बोर्डिंग और लॉजिंग, मुफ्त स्कूल यूनिफॉर्म, पाठ्य पुस्तकें, स्टेशनरी, और फ्रो रेल और बस किराया प्रदान करता है। पर हाल के वर्षों में एक मामूली शुल्क (छूट प्राप्त वर्ग के छात्रों और समस्त छात्राओं को छोड़कर) विद्यालय विकास निधि के रूप में कक्षा- 9 से 12 के छात्रों से प्रति माह 600 / – का शुल्क लिया जाता है। जिन छात्रों के माता-पिता कोई सरकारी नौकरी करते हैं उनसे प्रतिमाह 1500 / का शुल्क लिया जाता है।
नवोदय विद्यालय प्रवास योजना के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण के मूल्यों को विकसित करने का लक्ष्य रखते हैं। प्रवासन हिंदी और गैर-हिंदी भाषी जिलों के बीच छात्रों का एक अंतर-क्षेत्रीय आदान-प्रदान है, जो कक्षा-नौवीं में एक शैक्षणिक वर्ष के लिए होता है। विविधता में एकता की बेहतर समझ को बढ़ावा देने और विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की समझ को विकसित करने और बढ़ावा देने के प्रयास किए जाते हैं।
निश्चितत: नवोदय विद्यालय प्रतिभाशाली ग्रामीण छात्रों को निःशुल्क, उच्च-गुणवत्ता वाली आवासीय शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध हैं, जिससे वे अपने शहरी समकक्षों के साथ समान रूप से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और इंजीनियरिंग, चिकित्सा, सिविल सेवाओं जैसे प्रतिष्ठित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उनकी लोकप्रियता ग्रामीण प्रतिभाओं का चयन करने, संस्कृति और मूल्यों के माध्यम से समग्र विकास को बढ़ावा देने, अन्य विद्यालयों से बेहतर शैक्षणिक रिकॉर्ड बनाए रखने और निःशुल्क भोजन, आवास और वर्दी जैसी व्यापक सुविधाएँ प्रदान करने के स्कूलों के अनूठे मॉडल से उपजी है, जो उन्हें ग्रामीण भारत के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान बनाता है।
देश-दुनिया में नवोदय से पढ़कर निकले लाखों विद्यार्थी आज समाज व राष्ट्र को नया मुकाम दे रहे हैं। नवोदयन शिक्षक सेवा भाव से कार्य करते हुए भारत के सुनहरे भविष्य को गढ़ने का कार्य कर रहे हैं। ये विद्यार्थी आने वाले कल के भविष्य हैं। इनमें आरम्भ से ही अपनी संस्कृति, कला, विरासत, नैतिक मूल्यों के प्रति आग्रह पैदा कर एक श्रेष्ठ नागरिक बनाया जा सकता है। सोशल मीडिया के इस अनियंत्रित दौर में उनमें अध्ययन, मनन, रचनात्मक लेखन और कलात्मक प्रवृत्तियों की आदत न सिर्फ उन्हें नकारात्मकता से दूर रखेगी अपितु उनके मनोमस्तिष्क में अच्छे विचारों का निर्माण भी करेगी। अध्ययन के साथ-साथ खेलकूद में रूचि व रचनात्मक कौशल भी बहुत जरूरी है। सही दिशा, बेहतर प्रयास और नवोन्मेष के साथ इच्छाशक्ति जितनी मजबूत होगी, उतनी ही तेजी से सफलता कदम चूमेगी। अधिकतर ग्रामीण पृष्ठभूमि के ये विद्यार्थी आज जिन ऊँचाइयों पर हैं, उसका श्रेय नवोदय की नव उदय की उस भावना को जाता है, जहाँ जात-पात, धर्म, अमीर-गरीब, शहरी-ग्रामीण जैसे तमाम विभेद भूलकर सब सिर्फ एक सकारात्मक सोच के साथ नए पथ पर अग्रसर होते हैं। नवोदयी भावना एक ऐसा अनमोल रिश्ता है, जो हर नवोदयन के दिल में खास जगह बनाए हुए है। ये सिर्फ एक समूह नहीं, बल्कि एक ऐसा अनूठा परिवार है जिसमें अलग-अलग राज्यों या जिलों के नवोदय विद्यालय भले ही हों, लेकिन जज़्बा, अपनापन और यादों की मिठास सबमें एक जैसी है।