शिक्षण संस्थानों को चरित्र निर्माण की धुरी बनना होगा – उपराष्ट्रपति प्राचीन काल से ही भारत…
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जनपद न्यायाधीश ने देवा मेला में विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविर का किया शुभारम्भ
बाराबंकी, 19 अक्टूबर 2024 को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बाराबंकी के तत्वाधान में श्री पंकज…
बाल कथक नृत्यांगना पर्णिका श्रीवास्तव देंगी कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियां
बाराबंकी, देवा मेला के ऑडिटोरियम में 19 अक्टूबर की रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियों…
‘बुजुर्गों के अधिकार’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
ने 31वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘बुजुर्गों के अधिकार’ पर एक दिवसीय…
भारत की विमानन विरासत को प्रदर्शित करने वाले ‘विमानन पार्क’ का उद्घाटन
नागरिक उड्डयन मंत्री श्री किंजरापु राम मोहन नायडू के नेतृत्व में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंत्रालय…
आईएनएस शार्दुल ने दुबई में बंदरगाह का दौरा संपन्न किया
आईएनएस शार्दुल ने लंबी दूरी की प्रशिक्षण तैनाती के हिस्से के रूप में 16 अक्टूबर को संयुक्त अरब अमीरात में दुबई के पोर्ट रशीद की यात्रा संपन्न की। यह यात्रा भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करने में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इस दौरान प्रमुख कार्यक्रम में यूएई नौसेना के साथ बातचीत, क्रॉस ट्रेनिंग विजिट और सामुदायिक आउटरीच गतिविधियां शामिल थीं। आईएनएस शार्दुल के समुद्री प्रशिक्षु नौसेना अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी और यूएई नौसेना जहाज के सयुक्त दौरों में शामिल हुए। इससे उन्हें साझा जानकारी और प्रशिक्षण पर पेशेवर बातचीत और चर्चा का अवसर मिला। संयुक्त प्रशिक्षण सत्र में योग और खेल कार्यक्रम यात्रा के अन्य मुख्य आकर्षण थे। आईएनएस शार्दुल पर एक औपचारिक स्वागत समारोह आयोजित किया गया। इसमें यूएई नौसेना के कर्मियों और अधिकारियों, राजनयिकों और भारतीय समुदाय के प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए। दुबई से प्रस्थान पर आईएनएस शार्दुल ने संयुक्त अरब अमीरात के नौसेना जहाज अल कुवैसैट के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास में भाग लिया। दोनों जहाजों ने आपसी समन्वय का प्रदर्शन करते हुए नौसैनिक युद्धाभ्यास, संचार अभ्यास और समन्वित गतिविधियों की एक श्रृंखला को आयोजित की। भारतीय नौसेना जहाज की दुबई यात्रा भारत-यूएई समुद्री संबंधों के महत्व और आईओआर में सागर की दृष्टि के अनुरूप समुद्री क्षेत्र में क्षमता बढ़ाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।