रंजीत सिंह भदौरिया
छतरपुर। जिले के कदारी गाँव में हाल ही में प्रकट हुआ बताए जा रहा एक ‘चमत्कारी कुआँ’ अचानक ही आस्था का बड़ा केन्द्र बन गया है। सोशल मीडिया पर इस कुएँ के वीडियो वायरल होते ही लोगों का तांता लग गया और देखते ही देखते यहाँ लाखों की भीड़ उमड़ने लगी।
श्रद्धालु कुएँ का पानी भरकर ले जाने लगे और आसपास अस्थायी दुकानें तथा प्रसाद बेचने का सिलसिला भी शुरू हो गया। इस भीड़ का नज़ारा बागेश्वर धाम जैसे लोकप्रिय धार्मिक स्थलों की याद दिलाता है, जहाँ रोज़ाना लाखों लोग पहुँचते हैं।
हालाँकि सवाल यह उठता है कि आधुनिक डिजिटल और शिक्षा प्रधान दौर में भी अप्रमाणित दावों और अफवाहों पर लोग इतनी जल्दी भरोसा क्यों कर लेते हैं।
डिजिटल तकनीक ने जहाँ सूचना पहुँचाने की रफ्तार बढ़ाई है, वहीं अफवाहों को फैलने का अवसर भी उतनी ही तेजी से दिया है। लोग वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट को बिना जाँच परख के सच मान लेते हैं और भीड़ के मनोविज्ञान में आस्था और चमत्कार का असर और गहरा हो जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सामाजिक व आर्थिक तनाव के बीच लोग ऐसे चमत्कारिक विश्वासों में सांत्वना खोजते हैं, जिसके चलते लाखों की भीड़ एक जगह इकट्ठा हो जाती है और कई बार यह भीड़ प्रशासन और सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती भी बन जाती है।