सच परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं,जिला न्यायालय का एतिहासिक फैसला

 

सूरज सिंह गौर

बाराबंकी। सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश के एक निर्णय ने एक पुरानी कहावत “सच्चे का बोलबाला, झूठे का मूंह काला” को चरितार्थ कर दिया। विद्वान न्यायाधीश के निर्णय ने टिकैत नगर थाना क्षेत्र के एक मामले में पुरानी रंजिश के साजिश कर्ताओं पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता कर्मवीर सिंह द्वारा अभियुक्त बाबूलाल का पक्ष रखते हुए न्यायालय में तर्कसंगत दलीलें रखी जिससे पुरानी रंजिश की साजिश के तहत फंसाने के मामले को विद्वान न्यायाधीश ज्ञान प्रकाश शुक्ल ने सही माना।सच्चाई के लिए संघर्ष करने वाले निडर अधिवक्ता श्री सिंह जनपद में साजिश के मामलों का न्यायालय के समक्ष पर्दाफाश करने के लिए अक्सर चर्चा में बने रहते हैं और उन्होंने अभियुक्त बाबूलाल को न सिर्फ दोषमुक्त कराया बल्कि अभियोगिनी को साजिश रचने का दोषी साबित करने में सफल रहे।

बताते चलें कि तकरीबन 3 वर्ष पूर्व टिकैत नगर थाना क्षेत्र के बांसगांव निवासिनी गिरजावती पत्नी मतोले ने बेटी के साथ छेड़छाड़ और जबरन दुराचार करने के प्रयास का मुकदमा न्यायालय के आदेश से दर्ज कराया था।

दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा न्यायालय के समक्ष अपना अपना पक्ष पूरी क्षमताओं के साथ रखा। लगभग 36 महीनों के दौरान पीड़ित के बयान, गवाहों के बयान आदि से गिरजावती द्वारा बाबूलाल के खिलाफ रची गई साजिश का चौंकाने वाला खुलासा न्यायालय के समक्ष खुलकर सामने आ गया।गिरजावती के बेटे चंदन की शादी टूटने का दोषी गिरजावती का परिवार बाबूलाल को मानता चला आ रहा था। विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में साक्ष्य के अभाव में दोषसिद्ध न होने के कारण दोषमुक्त किए जाने के आदेश के साथ अभियोगिनी गिरजावती के विरुद्ध मिथ्या साक्ष्य गढ़ने व लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत पृथक प्रकीर्णवाद दर्ज करने का आदेश दिया है।

न्यायालय के आदेश के बाद एक फिर ये साबित हो गया है कि “सच को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं।”

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