भोपाल।
अब नेताओं को सिर्फ जनता की सेवा ही नहीं, मंच पर संभल कर बोलना भी सीखना होगा। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार अपने मंत्रियों और विधायकों को ‘संवेदनशील भाषण कला’ का प्रशिक्षण देने जा रही है। यह फैसला हालिया बयानों से उपजी किरकिरी के बाद लिया गया है, जिससे पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब जुबान की लगाम जरूरी है।
राजस्थान में पहले से चल रहा अभ्यास
दिलचस्प बात यह है कि राजस्थान भाजपा पहले ही अपने नेताओं को बोलने का पाठ पढ़ा रही है, और अब मध्य प्रदेश ने भी इस राह पर कदम बढ़ा दिया है। वहां भाजपा द्वारा प्रशिक्षित प्रवक्ताओं की सूची तैयार की जा चुकी है, जबकि मध्य प्रदेश में जून में विधायकों के लिए विशेष प्रशिक्षण सत्र की योजना है।
बयान बहादुरों से सतर्क भाजपा
भाजपा नेतृत्व का यह फैसला दो हालिया विवादित बयानों के बाद सामने आया है—
एक मंत्री द्वारा सेना की तुलना में प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक होने की टिप्पणी,
और दूसरे मंत्री की “नाली जैसी भाषा” पर कोर्ट तक ने सख्ती दिखाई।
अब क्या सिखाया जाएगा?
प्रशिक्षण में नेताओं को बताया जाएगा कि किन मुद्दों पर बोलना है, किन पर चुप रहना है, और किस शब्द का क्या प्रभाव हो सकता है। यानी अब नेताओं के लिए भी जरूरी हो गया है बोलने से पहले तोलना।
नेताओं को अब मंच से फिसलती जुबान पर लगाम लगाने की तैयारी, भाजपा का यह कदम बताता है कि सत्ता तक पहुंचने की दौड़ में अब शब्दों की मर्यादा भी अनिवार्य हो चली है।