संगठित मानव तस्करी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए देशभर में बड़ी कार्रवाई हुई, जिसमें 10 राज्यों के 55 ठिकानों पर छापेमारी कर 44 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया। यह ऑपरेशन अवैध प्रवासी तस्करी और उनके भारत में बसाव से जुड़े मामलों पर आधारित था।
छापेमारी का उद्देश्य
यह अभियान विशेष रूप से उन नेटवर्क पर केंद्रित था, जो भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए कमजोर वर्गों, खासकर रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों की तस्करी करते हैं। इन प्रवासियों को न केवल अवैध तरीके से भारत लाया जाता था, बल्कि उनकी बसावट और दस्तावेजीकरण में भी संगठित गिरोह मदद करते थे।
महत्वपूर्ण तथ्य
स्थान: त्रिपुरा, कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, हरियाणा, तेलंगाना, और पुदुचेरी सहित 10 राज्यों में छापेमारी की गई।
सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां: त्रिपुरा से 21, कर्नाटक से 10, असम से 5 और पश्चिम बंगाल से 3 गिरफ्तारियां हुईं।
बरामदगी: छापों के दौरान डिजिटल उपकरण, मोबाइल फोन, संदिग्ध दस्तावेज और अन्य सामग्री जब्त की गई।
कानूनी प्रक्रिया: सभी गिरफ्तार व्यक्तियों को अदालत में पेश कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
तस्करी का पैटर्न
जांच में यह खुलासा हुआ है कि ये गिरोह कमजोर वर्गों को रोजगार और बेहतर जीवन के झूठे वादे देकर सीमा पार तस्करी करता था। तस्करी के बाद इन्हें भारत में अवैध दस्तावेज देकर बसाया जाता था। इन गतिविधियों से न केवल भारत की सुरक्षा को खतरा होता है, बल्कि स्थानीय समुदायों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सरकार का संदेश
यह कार्रवाई संगठित अपराध और मानव तस्करी को जड़ से खत्म करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि देश में अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह अभियान देश में मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कदमों की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो अपराधियों पर नकेल कसने और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।