ग्वालियर, 19 मई 2025/
भारतीय न्याय व्यवस्था में लंबित मामलों की संख्या को कम करने और शीघ्र न्याय की दिशा में वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार ग्वालियर, भिंड एवं मुरैना जिले के न्यायाधीशों के लिए एक पाँच दिवसीय मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम आज सोमवार को तानसेन रेजिडेंसी, ग्वालियर में प्रारंभ हुआ।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री ललित किशोर ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि
> “मध्यस्थता न केवल एक वैकल्पिक विवाद समाधान पद्धति है, बल्कि यह हमारी न्याय प्रणाली को अधिक संवेदनशील, संवादशील और समाधानोन्मुख बनाने का माध्यम है। यह प्रक्रिया न केवल समय और संसाधनों की बचत करती है, बल्कि समाज में सौहार्द भी बढ़ाती है।”
कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश श्री ऋतुराज सिंह चौहान, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री प्रशांत पांडे, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री प्रियंक भारद्वाज, नगर निगम मजिस्ट्रेट श्री निशांत मिश्रा, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री सनातन सेन सहित प्राधिकरण के अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
इस प्रशिक्षण में एमसीपीसी (MCPC), नई दिल्ली के सीनियर ट्रेनर श्री सुरेंद्र सिंह एवं श्री शाहिद मोहम्मद न्यायाधीशों को व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक रूप से मध्यस्थता की बारीकियों का प्रशिक्षण दे रहे हैं।
प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों?
भारत की अदालतों में करोड़ों मामले वर्षों से लंबित हैं। ऐसे में मध्यस्थता जैसी प्रक्रिया विवादों को न्यायालय के बाहर हल करने का सरल, शीघ्र और शांतिपूर्ण तरीका प्रदान करती है। न्यायाधीशों के लिए यह प्रशिक्षण न केवल मध्यस्थता के तकनीकी पक्षों को समझने में सहायक होगा, बल्कि यह उन्हें इस विधा के माध्यम से न्याय देने की नई दृष्टि भी देगा।
यह प्रशिक्षण 23 मई तक चलेगा। यह पहल न केवल न्याय प्रणाली की दक्षता में वृद्धि करेगी, बल्कि न्याय को सुलभ, संवेदनशील एवं समाधानपरक बनाने की दिशा में एक ठोस कदम सिद्ध हो सकती है।