ग्वालियर में हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग में प्रस्तावित डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। शनिवार को इस विवाद ने नया मोड़ तब लिया जब बार एसोसिएशन से जुड़े वकीलों ने प्रस्तावित स्थल पर भारतीय तिरंगा फहरा दिया, जिसके बाद पुलिस और वकीलों के बीच झूमाझटकी की स्थिति बन गई।
क्या है मामला?
दरअसल, हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर प्रतिमा लगाने की योजना पर काम चल रहा है। एक वकील समूह इसका समर्थन कर रहा है और उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और जबलपुर हाईकोर्ट परिसर में भी अंबेडकर जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। ऐसे में संविधान निर्माता की प्रतिमा ग्वालियर हाईकोर्ट में भी स्थापित होनी चाहिए।
वहीं, ग्वालियर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर महापुरुषों की प्रतिमा लगाने से पहले व्यापक सहमति और अनुमति आवश्यक होती है। बार एसोसिएशन का दावा है कि इस मामले में उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई और ना ही भवन समिति को विश्वास में लिया गया।
ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत तिरंगा फहराया
बार एसोसिएशन ने शनिवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत प्रतिमा स्थल पर तिरंगा फहराया। अध्यक्ष एडवोकेट पवन पाठक ने बताया कि यह कार्रवाई देश की अखंडता और तिरंगे के सम्मान को सर्वोपरि मानते हुए की गई है। उनका कहना है कि जाति और धर्म से ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक होना चाहिए।
पुलिस और वकीलों के बीच झड़प
प्रतिमा स्थल पर जब वकीलों ने तिरंगा फहराया, तो पुलिस ने रोकने की कोशिश की। इस दौरान कुछ महिला पुलिसकर्मियों और वकीलों के बीच धक्का-मुक्की हुई। एक वायरल वीडियो में यह झूमाझटकी स्पष्ट दिखाई दे रही है। मौके पर मौजूद पुलिसबल ने स्थिति को नियंत्रित किया, पर किसी प्रकार की बड़ी हिंसा की सूचना नहीं है।
विवाद की जड़ में कौन?
गौरतलब है कि प्रतिमा लगाने की पहल भी वकीलों के एक अलग समूह ने ही की थी। उनके अनुसार यह कोई बाहरी या राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि संवैधानिक सम्मान से जुड़ा विषय है। उनका कहना है कि प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद ही मूर्ति स्थापना की जाएगी।
समाज में मिश्रित प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। कुछ लोगों ने प्रतिमा के विरोध को ‘संविधान विरोधी’ बताया तो कुछ ने तिरंगा फहराने की पहल को ‘राष्ट्रीय गौरव’ करार दिया। वहीं, कुछ यूजर्स ने इसे ‘अनावश्यक जातीय विवाद’ बताकर निंदा की।
https://x.com/ambedkariteIND/status/1921485917329498317?t=TPkvbWSMnpazF5nwhvOy1A&s=19
ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में प्रतिमा स्थापना का विवाद अब केवल कानूनी दायरे में नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रतीकात्मक मुद्दा बन चुका है। एक ओर संविधान निर्माता को सम्मान देने की मांग है, तो दूसरी ओर न्यायिक परिसर में प्रक्रियात्मक पारदर्शिता की अपेक्षा। यह देखना अब अहम होगा कि प्रशासन और न्यायपालिका इस विवाद का समाधान कैसे निकालते हैं।