ग्वालियर। ग्वालियर में आज देवर्षि नारद जयंती पर आयोजित “संवेदनशील विषयों पर पत्रकारिता और जिम्मेदारी” विषयक कार्यक्रम में पत्रकारिता के मूल धर्म और उसकी दिशा पर गंभीर विमर्श हुआ। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि पत्रकार को निष्पक्ष ही नहीं, तटस्थ होना चाहिए। न तो किसी प्रभाव में आना चाहिए और न ही टीआरपी की दौड़ में समाज या राष्ट्रहित से समझौता करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता सिर्फ खबर देने का माध्यम नहीं है, यह जनमानस की अभिव्यक्ति और जनहित की चेतना का संप्रेषण है। उन्होंने पत्रकारों से आग्रह किया कि भाषा की मर्यादा, शब्दों की संवेदना और समाज के हित को ध्यान में रखकर पत्रकारिता करें।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अरविंद शुक्ला ने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे देवर्षि नारद के जीवन से प्रेरणा लें और विचारों की सकारात्मकता को लेखनी में उतारें। उन्होंने कहा कि भाव, प्रभाव और अभाव – इन तीनों स्थितियों में तटस्थता ही पत्रकार की सबसे बड़ी परीक्षा है।
मंच पर न्यास अध्यक्ष नरेंद्र श्रीधर कुंटे, संयोजक बलराम सोनी और चयन समिति के अध्यक्ष प्रवीण दुबे उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि आज कुछ मीडिया संस्थान सनसनी फैलाकर अपनी साख से समझौता कर रहे हैं। अनंत विजय ने भारत-पाक संघर्ष के दौरान मीडिया द्वारा की गई अतिशयोक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि खबरों की सटीकता और प्रमाणिकता ही पत्रकारिता की असली पहचान है।
इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इनमें बच्चन बिहारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, रमन पोपली को वरिष्ठ पत्रकार सम्मान, डॉ. मयंक चतुर्वेदी को श्रेष्ठ प्रवासी पत्रकार, डॉ. प्रदीप बौहरे को श्रेष्ठ पत्रकार, सुनील पाठक को श्रेष्ठ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिपोर्टर, संजय भटनागर को श्रेष्ठ फोटो जर्नलिस्ट, संजय चंदेल को श्रेष्ठ वीडियो जर्नलिस्ट, अजय रावत को बेस्ट आउटपुट, विकास पांडे को श्रेष्ठ आंचलिक पत्रकार और प्रवीण शर्मा को श्रेष्ठ वेब पोर्टल/डिजिटल मीडिया सम्मान दिया गया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय साहित्य परिषद व मीडिया जगत से जुड़े अनेक वरिष्ठ जनों की गरिमामयी उपस्थिति रही। संचालन राजेश वाधवानी और संयोजक बलराम सोनी ने किया।
इस आयोजन ने स्पष्ट संकेत दिया कि पत्रकारिता यदि नैतिक मूल्यों से जुड़ी रहे तो वह केवल सूचना नहीं देती, बल्कि समाज को दिशा भी देती है।