Manoj Swatantra
भारत आज एक ऐतिहासिक दौर से गुजर रहा है, जिसे ‘अमृत काल’ के रूप में जाना जा रहा है—एक ऐसा समय जब देश वैश्विक मंच पर अपनी पहचान को और मजबूत करने की दिशा में अग्रसर है। इस परिप्रेक्ष्य में, बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विचार और संदेश न केवल प्रासंगिक हैं, बल्कि भारत के युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश भी हैं। अंबेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान का शिल्पी और सामाजिक न्याय का प्रबल पक्षधर माना जाता है, ने अपने जीवन और कार्यों के माध्यम से युवाओं को शिक्षा, समानता, और आत्म-सम्मान की राह दिखाई। आज, जब भारत की 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है (2021 जनगणना अनुमान), अंबेडकर का संदेश युवाओं को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिवर्तन का वाहक बनने के लिए प्रेरित करता है।
बाबा साहेब ने कहा था, “शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो इसे पिएगा, वह दहाड़ेगा।” उनका मानना था कि शिक्षा केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि सामाजिक बेड़ियों को तोड़ने और आत्म-सम्मान को स्थापित करने का साधन है। आज भारत में युवा साक्षरता दर 91% से अधिक है (यूनेस्को, 2020), फिर भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच में असमानता बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 24% युवा ही उच्च शिक्षा तक पहुंच पाते हैं (NSSO, 2021)। अंबेडकर का संदेश युवाओं से आह्वान करता है कि वे न केवल स्वयं शिक्षित हों, बल्कि समाज के वंचित वर्गों तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने में भी योगदान दें। डिजिटल युग में, जहां भारत की स्टार्टअप अर्थव्यवस्था 2025 तक $1 ट्रिलियन की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, युवाओं को तकनीकी शिक्षा और नवाचार के माध्यम से देश को सशक्त करना होगा।
अंबेडकर का जीवन सामाजिक समानता के लिए एक अनवरत संघर्ष की गाथा है। उन्होंने जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, और सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई। आज भी, भारत में 27% ग्रामीण परिवार सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं (IHDS, 2018), और महिलाओं की कार्यबल भागीदारी केवल 25% है (विश्व बैंक, 2023)। अंबेडकर का संदेश युवाओं को यह सिखाता है कि सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से होती है। युवाओं को न केवल अपने विचारों को समावेशी बनाना होगा, बल्कि समाज में व्याप्त रूढ़ियों को चुनौती देनी होगी। सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों के इस युग में, जहां भारत के 830 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं (TRAI, 2024), युवा अंबेडकर के समानता के विचारों को फैलाने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
अंबेडकर ने युवाओं को आत्म-सम्मान के साथ जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “आपको अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा, क्योंकि कोई भी आपको वह थाली में सजाकर नहीं देगा।” आज, जब भारत में 50% से अधिक युवा स्वरोजगार और उद्यमिता की ओर बढ़ रहे हैं (MSME Report, 2023), अंबेडकर का यह संदेश युवाओं को नेतृत्व और आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करता है। चाहे वह स्टार्टअप्स हों, सामाजिक उद्यम हों, या नीति निर्माण में भागीदारी, युवाओं को अपने समुदायों और देश के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी। अंबेडकर का जीवन यह दर्शाता है कि चुनौतियों के बावजूद, दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में, अंबेडकर ने युवाओं को संवैधानिक मूल्यों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व—को अपनाने का आह्वान किया। आज, जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और 2024 के आम चुनावों में 96 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया (चुनाव आयोग), युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय रहें। अंबेडकर का संदेश है कि केवल मतदान ही काफी नहीं; युवाओं को नीति निर्माण, सामुदायिक विकास, और सामाजिक न्याय के लिए काम करना होगा।
अंबेडकर का मानना था कि सामाजिक न्याय के बिना आर्थिक प्रगति अधूरी है। आज, जब भारत की जीडीपी $3.7 ट्रिलियन (IMF, 2024) है और यह 2030 तक $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, फिर भी 21% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है (NITI Aayog, 2023)। अंबेडकर का संदेश युवाओं को आर्थिक असमानता को कम करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। चाहे वह स्किल डेवलपमेंट हो, स्टार्टअप्स के माध्यम से रोजगार सृजन हो, या सामाजिक उद्यमिता, युवा इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर का संदेश भारत के युवाओं के लिए एक क्रांतिकारी आह्वान है। वे चाहते थे कि युवा न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करें। आज, जब भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 40वें स्थान पर है (WIPO, 2024) और युवा शक्ति दुनिया में सबसे बड़ी है, अंबेडकर के विचार हमें शिक्षा, समानता, और आत्म-सम्मान के बल पर एक नई क्रांति की ओर ले जा सकते हैं। युवाओं को चाहिए कि वे अंबेडकर के इस संदेश को आत्मसात करें: “संगठित रहो, शिक्षित रहो, और संघर्ष करो।” यह संदेश न केवल व्यक्तिगत प्रगति का मार्ग है, बल्कि एक समावेशी, मजबूत, और आत्मनिर्भर भारत का आधार भी है।
अंबेडकर जयंती पर, आइए हम संकल्प लें कि भारत का युवा वर्ग उनके सपनों को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। यह समय है एक ऐसे भारत के निर्माण का, जहां हर युवा अपनी क्षमता को पहचाने और देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाए।