भोपाल। परिवहन विभाग के निलंबित आरक्षक सौरभ शर्मा के भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्तियों का खुलासा जिस शख्स ने किया, वह कोई और नहीं बल्कि उसका ही करीबी शरद जायसवाल था। दोस्ती की आड़ में चल रहे इस खेल का पर्दाफाश तब हुआ जब जयपुरिया स्कूल में साझेदारी को लेकर मतभेद बढ़े और शरद ने ही सौरभ की काली कमाई की परतें खोल दीं।
लोकायुक्त की कार्रवाई में 52 किलो सोना, करोड़ों की नकदी, लग्जरी गाड़ियां और कई बेनामी संपत्तियां सामने आईं, लेकिन इस काले धन का असली स्रोत अब भी सवालों के घेरे में है। चौंकाने वाली बात यह है कि शरद स्वयं भी इस घोटाले में आरोपी है और न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है।
पूरे मामले में भ्रष्टाचार का ऐसा जाल उजागर हुआ है, जहां दोस्ती, साझेदारी और बेईमानी के धागे एक-दूसरे में उलझे नजर आते हैं। अब सवाल यह है कि क्या शरद ने साजिश के तहत सौरभ को बेनकाब किया या खुद को बचाने के लिए यह खेल खेला? लोकायुक्त की जांच इस पर से पर्दा उठाने में लगी है।