भोपाल: कैलाश मकवाना होंगे मध्य प्रदेश के 32वें डीजीपी

भोपाल। मध्य प्रदेश को नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मिलने जा रहा है। 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना को इस पद के लिए चुना गया है। वर्तमान में पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष मकवाना 1 दिसंबर से पदभार संभालेंगे। वे सुधीर सक्सेना का स्थान लेंगे, जो 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उनके नाम को मंजूरी दे दी है।

एक ईमानदार अधिकारी का सफर

कैलाश मकवाना का जन्म उज्जैन, मध्य प्रदेश में हुआ और उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई और आईआईटी दिल्ली से एमटेक किया। 30 अगस्त 1988 को सेवा में शामिल हुए मकवाना ने दंतेवाड़ा, बस्तर, मंदसौर, और बैतूल जैसे चुनौतीपूर्ण जिलों में एसपी के रूप में काम किया है। उनकी छवि एक ईमानदार अधिकारी की रही है, जो सख्त और निडर फैसलों के लिए जाने जाते हैं।

चयन प्रक्रिया और विवाद

डीजीपी के चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 21 नवंबर को दिल्ली में बैठक हुई थी। इसमें अरविंद कुमार, अजय शर्मा और कैलाश मकवाना के नामों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कैलाश मकवाना के नाम पर सहमति जताई।

हालांकि, लोकायुक्त के डीजी रहते हुए मकवाना विवादों में आए थे। उनकी गोपनीय चरित्रावली (सीआर) को लेकर सवाल उठे, लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे सुधारा और उन्हें उच्च अंक दिए। उनके नेतृत्व में पुलिस विभाग में पारदर्शिता और सख्त अनुशासन की उम्मीद की जा रही है।

नई जिम्मेदारी और चुनौतियां

मध्य प्रदेश के 32वें डीजीपी के रूप में मकवाना का कार्यकाल चुनौतीपूर्ण होगा। राज्य में कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने और पुलिस बल में सुधार लाने के लिए उनसे कड़े कदमों की अपेक्षा की जा रही है। उनका अनुभव और निर्णय लेने की क्षमता राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने में मदद करेगा।

डीजीपी सुधीर सक्सेना द्वारा बधाई

नवनियुक्त डीजीपी कैलाश मकवाना को उनके पदभार संभालने से पूर्व डीजीपी सुधीर सक्सेना ने बधाई दी है। उन्होंने मकवाना के नेतृत्व में पुलिस बल को नई ऊँचाइयों तक पहुँचने की शुभकामनाएँ दी। सक्सेना ने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में कानून-व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन की दिशा में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, और अब उन्हें उम्मीद है कि कैलाश मकवाना इस यात्रा को आगे बढ़ाएंगे।

कैलाश मकवाना की नियुक्ति से राज्य के पुलिस विभाग में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है। उनका कार्यकाल राज्य में कानून-व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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