भोपाल। बागेश्वर पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सम्मान दिया, लेकिन यात्रा को पूरी तरह सार्थक बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। मुस्लिम लीग के प्रवक्ता पीरजादा तौकीर निजामी ने कहा कि यह यात्रा तभी सफल मानी जाएगी जब दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समुदायों को समान अधिकार मिलेंगे और रोटी-बेटी का संबंध स्थापित होगा।
मुस्लिम लीग की चुनौती:
निजामी ने जातिवाद पर सवाल उठाते हुए कहा, “6443 जातियों में बंटे हिंदू समाज को एकजुट करना आसान नहीं है। सबसे पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री को दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को मंदिरों और मठों में पुजारी बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि पंडित शास्त्री दलित समाज में विवाह करते हैं, तो यह एक मजबूत संदेश जाएगा और समाज में जातिवाद को तोड़ने में मदद मिलेगी।
पदयात्रा का उद्देश्य और प्रगति:
21 नवंबर को छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम से शुरू हुई यह यात्रा शुक्रवार को ओरछा में समाप्त होगी। यात्रा के सातवें दिन मुरारा गांव होते हुए पंडित धीरेंद्र शास्त्री निवाड़ी पहुंचे, जहां उन्होंने नारा दिया, “जात-पात की करो विदाई, हिंदू-हिंदू भाई-भाई।”
पंडित शास्त्री ने यात्रा को राजनीतिक न बताते हुए इसे हिंदू समाज में जागरूकता और एकता का संदेश देने के उद्देश्य से बताया।
निष्कर्ष:
मुस्लिम लीग के सवालों और बागेश्वर धाम के नारे के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री समाज में समानता और एकता को बढ़ावा देने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं और जातिवाद खत्म करने में कितनी सफलता मिलती है।