सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा पर गवाहों को धमकाने के आरोपों को लेकर नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने मिश्रा के वकील सिद्धार्थ दवे को निर्देश दिया कि वह चार हफ्तों में हलफनामा दाखिल कर इन आरोपों पर सफाई दें।
पृष्ठभूमि: क्या है मामला?
3 अक्तूबर 2021 को उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के विरोध में किसानों का प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान एक एसयूवी ने किसानों को कुचल दिया, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी। इस घटना में आठ लोग मारे गए थे।
आरोप है कि घटना के दौरान वाहन में आशीष मिश्रा मौजूद थे। फिलहाल, आशीष मिश्रा जमानत पर बाहर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2023 में मिश्रा को जमानत दी थी लेकिन गवाहों को प्रभावित न करने के निर्देश के साथ। सितंबर में उन्हें दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में रहने की अनुमति दी गई थी।
गवाहों को धमकाने का मामला
हाल ही में एक शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, यह आरोप लगाते हुए कि आशीष मिश्रा गवाहों को धमका रहे हैं। मिश्रा के वकील ने इन आरोपों को खारिज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है और निचली अदालत को भी शीघ्र सुनवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
अदालत का निर्देश और आगे की कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
इस प्रकरण ने न्यायपालिका और किसानों के आंदोलन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की बहस को फिर से तेज कर दिया है।