छतरपुर:
बागेश्वर धाम से रामराजा सरकार की नगरी ओरछा तक, करीब 160 किलोमीटर की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा अपने अंतिम पड़ाव की ओर है। यात्रा के आठवें दिन यह ओरछा तिराहे पर पहुंची, जहां महाराज पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सभी यात्रियों का उत्साहवर्धन किया।
राष्ट्रगान और समरसता भोज से हुआ दिन का शुभारंभ
गुरुवार को यात्रा निवाड़ी से शुरू होकर शाम 4 बजे बरुआसागर पहुंची, जहां समरसता भोज का आयोजन हुआ। सभी समाजों के लोगों के साथ भोजन कर महाराज ने सामाजिक भेदभाव मिटाने का संदेश दिया।
सड़क पर उतरकर ही होगा एकजुटता का संदेश
ओरछा तिराहे पर महाराज ने कहा, “धर्म की रक्षा के लिए जाति-पाति और छुआछूत जैसे भेदभाव मिटाने होंगे। अन्य मजहबों में अनेक जातियां होने के बावजूद जब धर्म की बात होती है, वे एकजुट हो जाते हैं। हमें भी यही सीख लेनी चाहिए।”
महाकुंभ से पहले सामाजिक जागरण का महाअभियान
उत्तर प्रदेश के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ ने यात्रा को “महाकुंभ से पहले का महाकुंभ” बताया। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को विश्वभर में घटती आबादी और बांग्लादेश में हो रहे अमानवीय कृत्यों से सबक लेना चाहिए।
देश में बड़े परिवर्तन का संकेत
छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “यह यात्रा सनातन धर्म के जागरण का नया अध्याय है। महाराज की इस पहल के दूरगामी परिणाम होंगे, जैसे स्वामी विवेकानंद और आदि शंकराचार्य की यात्राओं के हुए थे।”
सामाजिक समरसता और शक्ति प्रदर्शन का उदाहरण
इस यात्रा में विभिन्न समाजों के लोग एक साथ भोजन करते और समान भाव से महाराज से आशीर्वाद लेते नजर आए। कथा वाचक कौशिक महाराज ने इसे सनातन धर्म के गौरव का प्रतीक बताते हुए कहा, “यह यात्रा संस्कार और संस्कृति की रक्षा के लिए है।”
यात्रा के प्रमुख पड़ाव
बरुआसागर: समरसता भोज और जनसमूह का स्वागत
ओरछा तिराहा: महाराज का संबोधन और सामाजिक एकता का संदेश
रामराजा मंदिर: समापन स्थल
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और परिवर्तन का आंदोलन बन चुकी है।